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विद्यालय विशेष

अभिभावक-मातृ सम्मेलन

छात्रों के समुचित विकास के लिए माता-पिता व आचार्य के बीच सम्पर्क एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए विद्यालय द्वारा अभिभावक, मातृ-सम्मेलन होते हैं। जिनकी सूचना छात्र / छात्राओं के माध्यम से लिखित अथवा मौखिक उनके अभिभावकों को दी जाती है।

परीक्षा

छात्र-छात्राओं का मूल्यांकन शिक्षण प्रक्रिया का अभिन्न अंग है। इसी आधार पर मूल्यांकन की सतत प्रक्रिया का विकास किया गया है। जिसके अन्तर्गत केवल कागज-कलम की परीक्षा ही नहीं बल्कि बालक के सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास का मूल्यांकन वर्ष भर होता रहता है।

पुस्तकालय

दार्शनिकों के मतानुसार "पुस्तक विहीन कमरा ऐसा ही है जैसा कि आत्मा रहित शरीर"। इसे ध्यान में रखते हुए विद्यालय पुस्तकालय में विभिन्न प्रकार की पुस्तकों, ऑडियो, सी डी व डी. वी. डी., ३००० पुस्तकों का संग्रह है, चित्रावली का विशेष संग्रह है।

संगणक (Computer)

आज की हाई टेक तकनीकी ने जितना अचम्भित किया है वह काबिले तारीफ है जो कल कल्पना में था वे आज मूर्तरूप धारण किये हैं। इसीलिए संगणक की चमत्कारिक भूमिका को देखते हुए कक्षा प्रथम से ही कम्प्यूटर-शिक्षा को Innovative Computer Technology के सहयोग से अनिवार्य बनाया गया है।

संगीत

संगीत मानव के अंतस् की संस्कृति है, संगीत से उदात्त भावों का जागरण होता है। छात्र -छात्राओं को संगीत के शिक्षण द्वारा देश भक्ति के गीत, अभिनय गीत तथा विशेष अवसरों पर (नृत्य, गायन,संगीत एवं अभिनय गीत) के कार्यक्रमों का प्रदर्शन होता है।

संस्कृत भाषा

संस्कृत सभी भाषाओं की जननी व भारत की एकता की अन्त:सूत्र है। भारत का समस्त प्राचीन ज्ञान-विज्ञान संस्कृत भाषा में ही सुरक्षित है। अतः प्रारम्भिक कक्षाओं से ही शिशुओं में संस्कृत भाषा के प्रति अभिरुचि जगाने का प्रयास होता है।

छात्र संसद

सरस्वती शिशु मन्दिर शिक्षण पद्धति में छात्र संसद का विशिष्ट स्थान है। यह एक अनूठा प्रयोग है जिसमें बच्चे विद्यालय की विभिन्न व्यवस्थाओं एवं विभागों के दायित्वों का संचालन करते हुए अनुभव के द्वारा सीखते हैं। इससे उनमें आत्मविश्वास जाग्रत होता है|

सहभोज

बालक अपने घरों से मध्यान्तर का भोजन विद्यालय लाते है तथा सामूहिक रूप से बैठकर भोजन मंत्र के उच्चारण के बाद भोजन करते हैं। इससे परस्पर प्रेम, समानता और एकता की भावना के गहरे संस्कार हृदय में सर्वदा के लिए जम जाते हैं।

चिकित्सा विभाग एवं स्वास्थ्य परिक्षण

विद्यालय में अपना चिकित्सा विभाग है जिसमें आवश्यक दवाएँ एवं पट्टी आदि का प्रबन्ध रहता है। समय-समय पर मान्य चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाता है|

बाल शिविर

बालको में साहस, व्यवस्था कौशल और सहयोग भाव के जागरण हेतु समय -समय पर शिविर में उन्हें भेजना तथा आयोजन करना हमारा अभिनव प्रयास होता है जिसमें आपका सहयोग अपेक्षित रहता है।

देश दर्शन

छात्रों के हृदय में राष्ट्र के प्रति गौरव का भाव जगाने के लिए छात्र संसद की ओर से ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों, श्रद्धाकेन्द्रों, नव निर्माण स्थलों की प्रत्यक्ष यात्रा का आयोजन किया जाता है। देश-दर्शन यात्रा बच्चों के भावात्मक व ज्ञानात्मक विकास का उत्तम माध्यम है।

विज्ञान

वैज्ञानिक युग के अनुरुप शिक्षा प्रदान करने के लिए विज्ञान के विभिन्न उपकरणों व सहायक सामग्री की व्यवस्था विद्यालय में है। इनका प्रयोग व प्रदर्शन प्रारम्भ से ही होता रहता है। विज्ञानं के छोटे-छोटे प्रयोग षष्ठ कक्षा से ही विद्यार्थियों को करने के लिए दिए जाते हैं।

चलचित्र एवं प्रदर्शनी

विद्यालय में स्वयं के टी. वी., ल.सी. डी., वी. सी. डी. प्लेयर, प्रोजेक्टर आडियो-वीडियो व Activity Room अलग से भी सुलभ हैं। जिसके माध्यम से समय-समय पर मनोरंजन के साथ धार्मिक, इतिहास, भूगोल, विज्ञान व सामान्य ज्ञान सम्बन्धी चल - चित्रों को दिखाया जाता है तथा प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है।

शारीरिक शिक्षा

"स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।" अतः शारीरिक क्षमताओं के विकास के लिए कक्षाश: शारीरिक पाठ्यक्रम निर्धारित किया गया है। उसी के अनुसार शारीरिक के विभिन्न अभ्यास नियमित कालांश में होते हैं।

नैतिक शिक्षा

मानवीय सद्‌गुणों का विकास ही नैतिकता का आधार है। सत्य, शील, दया, निर्भयता, साहस, सहयोग, सेवा-भाव, त्याग आदि गुणों का विकास नैतिक शिक्षा के अन्तर्गत आता है। इन गुणों का विकास विभिन्न माध्यमों के द्वारा किया जाता है।

प्रतियोगिताएँ

छात्र / छात्राओं में नेतृत्व क्षमता का विकास करने के लिए भाषण एवं वाद –विवाद प्रतियोगिताओं में सम्मिलित होने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाता है। अन्य विद्यालयों,धार्मिक, सांस्कृतिक व समाजसेवी संस्थाओं द्वारा आयोजित चित्रकला, सामान्य ज्ञान, सुलेख, गीत, नृत्य, वादन, प्रश्नमंच आदि प्रतियोगिताओं में छात्र-छात्राएँ भाग लेकर समय-समय पर पुरस्कार प्राप्त करते रहते हैं।

परीक्षाएँ

अपनी मातृभूमि, संस्कृति, धर्म, परम्परा एवं महापुरुषों के सम्बन्ध में ज्ञान प्राप्त करने हेतु गायत्री परिवार द्वारा आयोजित अखिल भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में व भारत विकास परिषद द्वारा आयोजित भारत को जानो प्रतियोगिता आदि परीक्षाओं में कक्षा पंचम से कक्षा द्वादश तक के छात्र - छात्राएँ अनिवार्य रूप से सम्मिलित होते हैं।

आचार्य

विद्यालय की सफलता का मुख्य रहस्य इस बात पर निर्भर है क़ि योग्य, श्रेष्ठ आचरण युक्त तथा सेवाभाव से कार्य करने वाले आशावादी व कर्मठ आचार्यों के चयन में हम कितना सतर्क रहते हैं। इस सतर्कता के कारण ही हमारे आचार्य, छात्रों के शिक्षण व विकास में स्वाभाविक रुचि लेते हैं। आचार्य /दीदी के प्रोत्साहन हेतु आचार्य / दीदी को प्रतिवर्ष पुरस्कृत किया जाता है।

पारितोषिक एवं छात्रवृत्तियाँ

समाज के यशस्वी महानुभावों द्वारा छात्र -छात्राओं में प्रतियोगिता भाव की दृष्टि से शैक्षणिक विधाओं में प्रत्येक कक्षा में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले छात्र / छात्राओं को छात्रवृत्तियाँ मेधावी छात्र अलंकरण समारोह में प्रतिवर्ष प्रदान की जाती है व श्रेष्ठ, योग्य व सेवाभाव से कार्य करने वाले आचार्य / दीदी को नकद राशि व स्मृति चिन्ह विद्यालय द्वारा वार्षिक परीक्षा परिणाम वितरण के समय प्रदान किया जाता है।

पत्रिका

बालकों में लेखन प्रतिभा के विकास हेतु प्रतिवर्ष हस्तलिखित "जागृति " पत्रिका स्वप्रेरणा से निर्मित की जाती है।